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छुईखदान/खैरागढ़. ग्राम कुकुरमुड़ा में बिना जानकारी निस्तारी तालाब भूमि का पंजीयन, ग्रामीणों में आक्रोश, कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर की निष्पक्ष जांच की मांग

साकेत श्रीवास्तव
04-07-2025 01:56 PM

खबरों का प्रहरी न्यूज. ग्राम कुकुरमुड़ा में बिना जानकारी निस्तारी तालाब भूमि का पंजीयन, ग्रामीणों में आक्रोश, कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर की निष्पक्ष जांच की मांग
छुईखदान/खैरागढ़ – ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत कुकुरमुड़ा में स्थित एकमात्र निस्तारी तालाब की भूमि का पंजीयन बिना ग्रामवासियों की जानकारी और सहमति के किए जाने का गंभीर मामला सामने आया है। इस घटना को लेकर ग्रामवासियों में भारी आक्रोश है। पूरे गांव की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर को आवेदन सौंपकर इस भूमि के पंजीयन को अवैध और जनविरोधी बताया है तथा तत्काल प्रभाव से इसकी जांच कराने और पंजीयन निरस्त करने की मांग की है।
ग्रामीणों के अनुसार, ग्राम कुकुरमुड़ा के खसरा नंबर 881, 1000, 882 में कुल लगभग 7.00 एकड़ का निस्तारी तालाब वर्षों से गांव की जल आवश्यकता की पूर्ति करता आ रहा है। यह तालाब ग्रामीणों के लिए पारंपरिक रूप से निस्तारी कार्यों जैसे पशु-पक्षियों के लिए पानी, सिंचाई, और दैनिक उपयोग का एकमात्र स्रोत है। शासन द्वारा इसे सार्वजनिक हित में सुरक्षित रखा गया था, लेकिन अब इसे निजी स्वामित्व में पंजीकृत कर दिया गया है।
ग्रामवासियों को नहीं दी गई जानकारी
ग्रामवासियों का आरोप है कि उक्त भूमि का पंजीयन बेहद गोपनीय तरीके से किया गया, जिसमें ना तो गांव के लोगों की राय ली गई और ना ही किसी ग्रामसभा या जनसुनवाई का आयोजन हुआ। यहां तक कि सरपंच एवं पंचायत को भी इसकी सूचना नहीं थी। जैसे ही ग्रामीणों को 2 जुलाई 2025 को पंजीयन की जानकारी मिली, पूरे गांव में आक्रोश की लहर दौड़ गई।
पूर्वजों की दी हुई जमीन को बताया जा रहा निजी संपत्ति
आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि तालाब की जमीन पूर्वजों द्वारा जनहित में ग्रामवासियों के लिए छोड़ी गई थी, जिसका इस्तेमाल वर्षों से सार्वजनिक निस्तारी कार्यों के लिए होता आ रहा है। लेकिन अब कुछ लोगों द्वारा उक्त जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए उसका पंजीयन कराया गया है, जबकि शासन के रिकॉर्ड में इसका कोई स्पष्ट स्वामित्व नहीं दर्शाया गया है।
ग्रामीणों ने की निष्पक्ष जांच की मांग
आक्रोशित ग्रामीणों ने मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि समय रहते इस पर संज्ञान नहीं लिया गया, तो गांव की एकमात्र जल स्रोत भी समाप्त हो जाएगा और भविष्य में जल संकट उत्पन्न हो सकता है।
क्या बोले ग्रामीण –
"हमारे पूर्वजों ने गांव के हित के लिए यह तालाब छोड़ा था। अब कुछ प्रभावशाली लोग इसे अपना बताकर बेच रहे हैं। यह सरासर अन्याय है। हम इस फैसले के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।"
प्रमुख मांगें –
- विवादित पंजीयन की तत्काल निष्पक्ष जांच कराई जाए
- निस्तारी तालाब को पुनः राजस्व रिकॉर्ड में सार्वजनिक संपत्ति घोषित किया जाए
- जिम्मेदार अधिकारियों व दलालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए
- गांव के पारंपरिक जल स्रोतों की सुरक्षा के लिए स्थायी समाधान निकाला जाए
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